अवकाश नियम
(मध्यप्रदेश सिविल सेवा अवकाश नियम 1977)
सामान्य नियम :- सामान्यतः अपकाश की मांग सदैव अधिकार के रूप में नहीं की जा सकती। अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी जब कभी लोक सेवा हितार्थ ऐसा करना आवश्यक समझे, किसी भी प्रकार की छुट्टी को अस्वीकार अथवा खंडित (समाप्त) कर सकता है, यद्यपि उसे प्रार्थना की गई छुट्टी की प्रकृति बदलने का कोई अधिकार नहीं है।
(म. प्र. अवकाश नियम 6)
शासकीय सेवक का अवकाश पर प्रस्थान :- कोई भी शासकीय सेवक अवकाश ( आकस्मिक अवकाश अथवा अन्य) पर प्रस्थान नहीं करेगा जब तक की वह पहले स्वीकृत न करा लिया गया हो, परंतु आपातकालीन स्थितियों में स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी कारण दर्शाते हुए व्यतीत किये हुए अवकाश को भूतलक्षी प्रभाव से स्वीकृत कर सकता है।
(म. प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम 7 )
एक प्रकार के अवकाश को दूसरे प्रकार के अवकाश में परिवर्तित कराना :- जिस अधिकारी ने अवकाश मंजूर किया था, वही बाद में कर्मचारी के निवेदन पर लिये गये अवकाश को किसी दूसरे प्रकार के अवकाश में तब्दील कर सकता है, जो अवकाश मंजूर करते समय उसके खाते में जमा तथा देय था, परंतु यह उसका अधिकार नहीं है।
(म. प्र. अवकाश नियम 9 )
विभिन्न प्रकार के अवकाशों का संयोजन :- अवकाश नियमों में वर्णित प्रावधानों के अधीन किसी भी प्रकार का अवकाश अन्य प्रकार के देय अवकाश के साथ या उसके क्रम में लिया जा सकता है।
(म. प्र. अवकाश नियम 10 )
अवकाश की एक समय में अधिकतम सीमा :- किसी भी शासकीय कर्मचारी को लगातार 5 वर्ष से अधिक समय का अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता है। असाधारण परिस्थितियों में राज्यपाल ही अन्यथा निर्णय ले सकते है।
(म. प्र. अवकाश नियम 11 )
अवकाश की स्वीकृति एवं वापसी :
(1) अवकाश के लिये आवेदन पत्र -
(क) प्रत्येक शासकीय कर्मचारी को अवकाश के लिये या अवकाश में वृद्धि के लिये आवेदन निर्धारित प्रपत्र में उक्त अवकाश या अवकाश में वृद्धि को स्वीकृत करने हेतु सक्षम अधिकारी को प्रस्तुत करना चाहिए। (फार्म 1)
(ख) अस्वस्थता के अतिरिक्त अन्य आधार पर अवकाश के लिये आवेदन पत्र जिस तिथि से छुट्टी परी जाना है उससे 21 दिन पूर्व प्रस्तुत करना चाहिए यदि आवेदिक अवकाश सेवानिवृत्ति पूर्वकालीन अवकाश है तो छ सप्ताह की सीमा लागू होगी। अवकाश स्वीकृत करने में सक्षम अधिकारी अपने विवेकानुसार देरी से दिये गये आवेदन पत्रों पर भी अवकाश स्वीकृत कर सकता है।
(म. प्र. अवकाश नियम 13)
( 2 ) अवकाश लेखा - प्रत्येक शासकीय कर्मचारी का अवकाश लेखा निर्धारित प्रपत्र (फार्म 2 ) पर रखना चाहिए।
(म. प्र. अवकाश नियम 14)
( 3 ) अवकाश पात्रता का सत्यापन - शासकीय कर्मचारी को कोई भी अवकाश उस समय पर स्वीकृत नहीं किया जायेगा जब तक अवकाश लेखा रखने वाले प्रधिकारी से अवकाश पात्रता के संबंध में प्रतिवेदन प्राप्त ना हो जाये।
(म. प्र. अवकाश नियम 15 )
(4) कुछ परिस्थितियों में अवकाश स्वीकृत न किया जाना- ऐसे शासकीय कर्मचारी को अवकाश स्वीकृत नही किया जाना चाहिए जिसे किसी सक्षम दण्ड देने वाले प्राधिकारी ने सेवा से पदच्युत, निश्कासित अथवा अनिवार्य सेवानिवृत्त करने का निर्णय कर लिया हो।
(म. प्र. अवकाश नियम 16 )
चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर शासकीय कर्मचारी को अवकाश की स्वीकृति
(1) चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश की मांग करने पर अवकाश प्रर्थना पत्र के साथ ही निर्धारित प्रपत्र ( देखिये फार्म 3) में चिकित्सा प्रमाण पत्र जो कि प्राधिकृत चिकित्सा या पंजीकृत चिकित्सा द्वारा दिया गया हो और इसमें बीमारी की प्रकृति तथा संभावित अवधि का उल्लेख हो, संलग्न करना चाहिए। जहाँ तक संभव हो, चिकित्सा प्रमाण पत्र आवेदित अवकाश अवधि के शुरु होने के साथ प्रस्तुत कर देना चाहिए। परंतु अपवादात्मक परिस्थितियों में जहाँ उपरोक्त वर्णित समयावधि में शासकीय कर्मचारी के लिए प्रार्थना पत्र यथोचित एवं व्यावहारिक रुप से प्रस्तुत करना संभव ना हो तो वहाँ आवेदित अवकाश अवधि शुरु होने के सात दिन के अंदर प्रस्तुत किया जा सकता है।
(2) अवकाश स्वीकृत करने वाला सक्षम प्राधिकारी चाहे तो आवेदनकर्ता को किसी शासकीय चिकित्सा अधिकारी जो सिविल सर्जन के पद से कम ना हो, के पास भेजकर शीघ्रातशीघ्र स्वास्थय परीक्षण कर दूसरी राय देने के लिए निर्देशित कर सकता है।
(3) शासकीय चिकित्सा अधिकारी को चाहिए कि वह बीमारी के बारे में कितने दिन का अवकाश आवश्यक है, स्पष्ट बताएं, इसके लिए वह चाहे तो आवेदनकर्ता को अपने समक्ष या उसके द्वारा मनोनीत किसी अन्य चिकित्सा अधिकारी के समक्ष उपस्थित रहने के लिए कह सकता है।
(4) इस नियम के अंतर्गत चिकित्सा प्रमाण पत्र मिल जाने पर भी शासकीय अवकाश का अधिकार नहीं मिल जाता, उसे चाहिए कि वह चिकित्सा प्रमाण पत्र अवकाश स्वीकृतकर्ता के पास भेजकर उसके आदेशों की प्रतीक्षा करे।
(5) अवकाश स्वीकृत करने वाला अधिकारी चाहे तो एक
समय में सात दिन के अवकाश के लिए चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की छूट दे
सकता है, परंतु इस प्रकार का अवकाश चिकित्सा प्रमाण पर
लिया गया नही माना जाएगा।
(म. प्र. अवकाश नियम 17 )
अवकाश का प्रारंभ एवं समाप्ति :- अवकाश नियम 20 के प्रावधानों के सिवाय अवकाश साधारणतया उस दिन से प्रारंभ होता है, जिस दिन पदभार हस्तांतरित कर दिया जाता है। तथा जिस दिन प्रभार पुनः ग्रहण किया जाता है, उससे पूर्व दिन पर समाप्त हो जाता है।
सार्वजनिक छुट्टियों का अवकाश के साथ जोड़ना :- उस मामले को छोड़कर जिसमें प्रशासनिक कारणों से अवकाश की शुरु में और बाद में छुट्टियों को जोड़ने की अनुमति पर विशिष्टतः रोक लगाई गई हो, अन्य प्रकार के अवकाश के शुरु में तथा बाद में सार्वजनिक छुट्टियों को जोडने की स्वतः ही अनुमति होगी। चिकित्सा प्रमाणत्र पर अवकाश के मामले में जिस दिन किसी कर्मचारी को डॉक्टरी जाँच के आधार पर कर्त्तव्य पर फिर से आने के लिए योग्य प्रमाणित किया गया है। यदि वह दिन सार्वजनिक छुट्टि का दिन पड़ता है तो उसे अपने चिकित्सा अवकाश के बाद में इस प्रकार की छुट्टि को जोड़ने की स्वतः ही अनुमति होगी, और ऐसे दिन अवकाश में गिनती नही की जाएगी।
अवकाश के प्रकार :
(1) अर्जित अवकाश (Earned Leave)
(क) अर्जन - प्रतिवर्ष पहली जनवरी तथा पहली जुलाई को 15-15 दिन का अवकाश लेखे में अग्रिम में जमा कर लिया जाता है।
(ख) अधिकतम जमा - 300 से अधिक नहीं। यदि पहली जनवरी अथवा पहली जुलाई के ठीक पूर्व अंतिम दिनांक को 300 दिन जमा शेष है। अग्रिम जमा को केवल पृथक से बताया जाएगा तथा उस छः माही में यदि कर्मचारी अर्जित अवकाश का लाभ उठाता है तो सबसे पहले अग्रिम जमा को समायोजित किया जाएगा और शेष को अवशेष में जोड़ दिया जाएगा, किंतु अधिकतम जमा अर्जित अवकाश 300 दिन से अधिक नही होगा ।
(वित्त विभाग अधिसूचना क्रमांक जी-1 /2/96/ सी / चार, दिनांक 2.6.97)
(ग) अधिकतम उपयोग की सीमा - एक समय में 120
दिन । यदि इस प्रकार से स्वीकृत अवकाश या उसका कोई अंश भारत, वर्मा, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश
और पाकिस्तान के बाहर व्यतीत किया जाता है तो 120 दिन से अधिक किंतु 180
दिन से अधिक नही, स्वीकृत किया जा सकता है।
(म. प्र. अवकाश नियम 25 एवं 26 )
(घ) अवकाश वेतन:- अवकाश पर जाने के ठीक पूर्व जिस दर से वेतन प्राप्त हो रहा था, उसी दर से अवकाश में वेतन प्राप्त होगा। किंतु यदि इस अवकाश काल में अवकाश पर रहने वाला शासकीय सेवक वेतन वृद्धि अर्जित करता है तो, यह वेतन वृद्धि उसके अवकाश वेतन में जोडी नही जाएगी। इस वृद्धि का लाभ उसे कर्त्तव्य पर उपस्थित होने पर मिलेगा, क्योंकि अवकाश काल में वही अवकाश वेतन मिलता है, जो अवकाश पर प्रस्थान करने वाले ठीक पहले वह प्राप्त कर रहा था।
(म. प्र. अवकाश नियम 36 ( 1 ) )
(2) अर्धवेतन अवकाश (half pay leave)
(क) अर्जन - सेवा के प्रत्येक संपूरित वर्ष के लिए 20 दिन की दर से अर्द्ध वेतन अवकाश जमा होता है।
(ख) उपभोग - कोई सीमा नही। परंतु यदि व्यक्तिगत
कारणों के आधार पर लिया जाता है, तो स्वीकृतकर्ता अधिकारी को पूर्ण संतोष होना
चाहिए कि कर्मचारी अवकाश की समाप्ति के पश्चात् कार्य पर उपस्थित हो जाएगा। यह
अवकाश चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर भी लिया जा सकता है। परंतु इसमें भी यही
शर्त होगी की स्वीकृतकर्ता अधिकारी को अवकाश स्वीकृत करने के पूर्व यह संतोष कर
लेना होगा कि कर्मचारी स्वस्थ्य होकर कार्य पर उपस्थित हो जाएगा।
(म. प्र. अवकाश नियम 28 )
(ग) अवकाश वेतन - पूर्ण अवकाश वेतन का आधा तथा इस पर देय महंगाई भत्ता ।
(म. प्र. अवकाश नियम 36 )
(3) लघुकृत अवकाश (Commuted leave)
(क) अर्जन लघुकृत अवकाश ड्यूटी द्वारा अर्जित नहीं किया जाता है। बल्कि उपभोगित अवकाश, अर्धवेतन अवकाश में दुगुना विकलित किया जाता है।
(ख) उपभोग
(1) यदि स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी को यह पूर्व संतोष हो कि कर्मचारी अवकाश की समाप्ति उपरांत पूर्ण स्वस्थ होकर कार्य पर उपस्थित हो जायेगा, केवल चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर देय अर्द्ध वेतन अवकाश के आधे बराबर स्वीकार किया जा सकाता है। यह सेवा निवृत्ति पूर्व अवकाश के बदले में स्वीकृत नहीं किया जाता है।
(2) पूर्ण सेवाकाल में 180 दिन तक के अर्धवेतन अवकाश को बिना चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर लघुकृत अवकाश में परिवर्तित करने की अनुमति दी जा सकती है, जबकि ऐसा अवकाश अध्ययन के लिये चाहा गया हो।
(3) लघुकृत अवकाश शासकीय कर्मचारी की प्रार्थना पर स्वीकृत किया जायेगा भले ही उसके अवकाश लेखे में अर्जित अवकाश शेष हो । जहां ऐसा अवकाश किसी शासकीय सेवक को मंजूर किया गया है और उसे बिना कर्तव्य सपर वापस लौट स्वैच्छित सेवा निवृत्त होने की अनुमति दी जाती है, जो लघुकृत अवकाश को अर्धवेतन अवकाश के समान मान लिया जाएगा तथा लघुकृत अवकाश व अर्धवेतन अवकाश के अंतर की राशि वसूल की जाएगी, किन्तु वसूली नहीं होगी यदि, सेवा निवृत्त खराब स्वास्थ्य के कारण चाही गई है, जिससे वह आगे सेवा करने के अयोग्य हो गया है।
(म. प्र. अवकाश नियम 29 )
(ग) अवकाश वेतन - अर्द्ध वेतन अवकाश का दुगुना ।
(म. प्र. अवकाश नियम 36 )
(4) अदेय अवकाश (Leave not due)
जब खाते में किसी प्रकार का अवकाश शेष नहीं हो तब यह अवकाश लिया जा सकता है। यह अवकश निम्न शर्तो के अधीन स्वीकृत किया जाता है -
(1) इसको सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश के भाति नहीं लिया जा सकता ।
(2) यह उसी शर्त पर स्वीकृत किया जायेगा जबकि अवकाश स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी को यह विश्वास हो की अवकाश समाप्ति पर कर्मचारी कर्तव्य पर वापस लौट आयेगा।
(3) अदेय अवकाश की स्वीकृति वहीं तक के लिये सीमित रखनी चाहिए जितना वह अर्द्ध वेतन अवकाश भविष्य में अपने खाते में जमा कर लेगा।
(4) अदेय अवकाश पूरे सेवाकाल में 360 दिन तक सीमित होगा, जिसमें एक समय में 90 दिन तथा पूरे सेवाकाल में 180 दिन तक बिना चिकित्सा प्रमाण पत्र के स्वीकृत किया जा सकता है ।
(5) अदेय अवकाश, अर्द्ध वेतन अवकाश लेखा में जो कर्मचारी भविष्य में अर्जित करेगा, के विरूद्ध विकलित होगा।
(म. प्र. अवकाश नियम 30 )
(6) अवकाश वेतन- शासकीय कर्मचारी को मिलने वाले पूर्ण अवकाश वेतन का आधा ।
(म. प्र. अवकाश
नियम 36 )
(5) असाधारण अवकाश (Extraordinary Leave)
(1) असाधारण अवकाश निम्न परिस्थितियों में स्वीकृत किया जा सकता है:
(अ) जब नियमानुसार किसी प्रकार के अन्य अवकाश की पात्रता न हो,
(ब) जब अन्य कोई अवकाश की पात्रता तो है, परन्तु सम्बन्धित कर्मचारी लिखित में अथवा असाधारण अवकाश की मांग करे।
(2) अवकाश स्वीकृत करने वाला सक्षम प्राधिकारी चाहे जब अन्य किसी प्रकार का अवकाश देय था उस समय जब बिना अवकाश अनुपस्थिति प्रारंभ हुई, बिना अवकाश अनुपस्थिति अवधि को असाधरण अवकाश में भूतलक्षी प्रभाव से रुपान्तरित कर सकता है।
( 3 ) असाधारण अवकाश अवकाश लेखा में विकलित नहीं किया जाता है।
(म. प्र. अवकाश नियम 31 )
( 4 ) अवकाश वेतन - कोई अवकाश वेतन देय नहीं ।
(म. प्र. अवकाश नियम 36 )
(5) स्वीकृति हेतु सक्षम प्राधिकारी जिसे अवकाश स्वीकृत करने की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
(6) आकस्मिक अवकाश -
एक वर्ष में 13 दिन
का आकस्मिक अवकाश शासकीय सेवक द्वारा उपभोग किया जा सकता है। परंतु इसका उपयोग तभी
किया जाना चाहिए जब सक्षम अधिकारी द्वारा अवकाश का अनुमोदन कर दिया गया हो। तकनीकी
दृष्टि से आकस्मिक अवकाश को अवकाश नहीं माना गया है, एवं इस अवकाश अवधि में शासकीय सेवक
अपने कर्त्तव्य पर ही माना जाता है। यह एक समय में अधिकतम 8 दिवस
तक लिया जा सकता है। अनुसूचित क्षेत्र में पदस्थ शासकीय सेवक के लिए सात दिन का
अतिरिक्त यानि 20 दिन का आकस्मिक अवकाश दिये जाने का प्रावधान
है।
(7) अवैतनिक अवकाश (Leave Without Pay):-
जब शासकीय सेवक के खाते में किसी भी प्रकार का अवकाश शेष ना हो तो सक्षम अधिकारी द्वारा यह अवकाश (आवेदन में उल्लेख किये गए कारण संतोषजनक पाए जाने पर ) स्वीकृत किया जाता है। परंतु ऐसे प्रकरण अवकास स्वीकृत अवधि का वेतन शासकीय सेवकों को प्राप्त नहीं होता है एवं उसकी सेवा अवधि में किसी भी प्रकार का अवरोध उत्पन्न नहीं होता है।
( 8 ) विशेष प्रकार के अवकाश :
1. प्रसूति अवकाश (Maternity Leave )
पात्रता - (1) महिला शासकीय सेवकों को जिनके 2 से कम जीवित बच्चे हैं, अवकास लेने के दिनांक से 90 दिन की अवधि का प्रसूति अवकाश स्वीकार्य किया जा सकता है। इस अवधि में उसे उस अवकाश वेतन की पात्रता होती है जो वह अवकाश पर प्रस्थान करने के तुरंत पूर्व प्राप्त कर रही थी।
(2) यह अवकाश अवकाश लेखे में विकलित नहीं किया जाता है।
(3) इस अवकाश के साथ किसी अन्य प्रकार का अवकाश भी लिया जा सकता है।
(4) गर्भपात सहित गर्भस्त्राव के मामले में प्रसूति अवकाश स्वीकार्य किया जा सकता है, किंतु प्रतिबंध यह होगा कि पूरे सेवाकाल में अधिकतम 45 दिन का अवकाश चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत किया जा सकता हैं।
टिप्पणी - मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रिगनेन्सी एक्ट, 1971 के अधीन उत्प्रेरित गर्भपात भी इस 1 नियम के प्रयोजनार्थ "गर्भपात" का मामला माना जाएगा।
(म. प्र. अवकाश नियम 38 )
(5) अविवाहित या विधवा महिला कर्मचारी को भी यह अवकाश मंजूर किया जा सकता है।
(6) बच्चा गोद लेने पर यह अवकाश नहीं मिलता है।
(7) महिला कर्मचारी अपनी बीमारी या नवजात बच्चे की बीमारी के सिलसिले में चिकित्सा प्रमाण पत्र देकर अन्य कोई अवकास ले सकती है, वशर्ते उसके खाते में अवकाश देय हो ।
2. पितृत्व अवकाश (Paternity Leave ) :-
यह अवकाश नि. लि. शर्तों के अधीन देय होगा:
(1) यह अवकाश ऐसे पुरुष सरकारी सेवकों को देय होगा जिनके दो या दो से कम जीवित बच्चे हैं।
(2) इस अवकाश की अधिकतम अवधि 15 दिन की होगी।
(3) पितृत्व अवकाश का लाभ प्रसव के 15 दिन पूर्व अथवा प्रसव की दिनांक से छः माह तक लिया जा सकता है। यदि इस अवधि में नहीं लिया गया तो यह व्यागत माना जाएगा।
(4) यह अवकाश परिवर्तित अवकाश के रूप में बिना चिकित्सा प्रमाण पत्र के मंजूर हो सकेगा।
( 5 ) यह अवकाश आकस्मिक अवकाश को छोड़कर अन्य अवकाश के साथ जोड़ा जा सकेगा।
( अवकाश नियम 38 - क यह नियम दि.1.8.2003 से लागू )
3. अध्ययन अवकाश ( Study Leave )
(1) पात्रता - जिसका सेवाकाल 5 वर्ष पूर्ण नहीं हुआ हो या जो अवकश की समाप्ति पर लौटने की तिथि के तीन वर्ष के अन्दर ही सेवानिवृत्त होने वाला हो अथवा जिसने ऐसी अवधि के अन्दर सेवा निवृत्ति का विकल्प दिया हो, को छोड़कर अन्य कर्मचारी को स्वीकृत किया जा सकता है।
(2) अवधि - (क) असामान्य कारणो को छोड़कर, साधारणतः एक समय में 12 माह । (ख) कुल मिलाकर पूर्ण सेवाकाल में 24 माह और इस 24 माह की अवधि में किन्हीं अन्य नियमों के अधीन स्वीकृत अध्यययन अवकाश भी सम्मिलित माना जायेगा
(3) अन्य प्रकार के अवकाशों के साथ संयोजन- अध्ययन अवकाश अन्य प्रकार के अवकाशों के साथ संयोजित किया जा सकता है, परन्तु असाधारण अवकाश के अतिरिक्त अन्य अवकाश के संयोजन से कुल अवधि ऐसी नहीं होनी चाहिए कि शासकीय कर्मचारी अपने नियमित कर्तव्यों से 28 माह से अधिक की अवधि के लिये अनुपस्थित रहे।
(4) स्वीकृति की अन्य शर्ते (1) अध्ययन अवकाश लोक सेवाओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भारत में अथवा भारत से बाहर उच्च अध्ययन अथवा विशिष्ट प्रशिक्षणा हेतु उम्ही तकनीकी विशयों जिनका सीधा और निकट का सम्बन्ध उस शासकीय सेवक के कर्तव्य से हो, पूर्ति होने पर स्वीकार किया जा सकता है।
(2) ऐसे प्रशिक्षण पाठ्यक्रम अथवा अध्ययन यात्रा
जिसमें नियमित शिक्षण अथवा प्रशिक्षण कि लिए उपस्थित रहना आवश्यक है तथा ऐसा
प्रशिक्षण अथवा पाठ्यक्रम लोकहित की दृष्टि से शासन को निश्चित लाभदायी प्रमाणित
हो एवं शासकीय कर्मचारी के कर्त्तव्यों से भिन्न हो ।
(3) प्रपत्र 8 या 9 पर बन्ध-पत्र भरना अनिवार्य है।
(5) स्वीकति हेतु सक्षम प्राधिकारी संबंधित प्रशासकीय विभाग स्वीकृति हेतु सक्षम है।
(6) अवकाश वेतन- भारत में अथवा भारत के बाहर व्यतीत अवकाश की अवधि में कर्मचारी को उतना ही अवकाश वेतन मिलेगा जिनता वेतन (महंगाई भत्ते के अलावा अन्य भत्तों को छोड़कर) अध्ययन अवकाश पर जाने के पूर्व मिल रहा था ।
टीप- पूर्ण अवकाश वेतन तब ही मिलेगा जब शासकीय कर्मचारी इस आशय का प्रमाण पत्र दे कि उसे किसी प्रकार की छात्रवृत्ति, वजीफा या अंशकालिक नियोजन से पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है। यदि किसी कर्मचारी को किसी भी प्रकार की छात्रवृत्ति, वजीफा या अंशकालिक नियोजन के फलस्वरुप पारिश्रमिक मिल रहा हो तो उतनी राशि अवकाश वेतन से कम कर ली जायेगी. लेकिन इस प्रकार कम लिया अवकाश वेतन उस अवकाश वेतन से कम नहीं होगा जो उसे अर्ध वेतन अवकाश में मिलता ।
9. सेवानिवृत्ति पर अवकाश नगदीकरण (Leave Encashment on Retirement )
(1) पात्रता - अधिवार्षिक आयु पूर्ण होने पर सेवा निवृत्त होने वाले शासकीय सेवकों को स्वेच्छा से सेवा निवृत्त होने वाले, शासन द्वारा अनिवार्य रुप से सेवानिवृत्त किये जाने वाले तथा असमर्थता पेंशन पर सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय सेवकों को ।
(2) अधिकतम मात्रा - सेवानिवृत्त होने के दिनांक को अवकाश लेखे में शेष बचे अर्जित अवकाश के बराबर, परंतु 300 दिन से अधिक नहीं ।
( 3 ) एकमुस्त भुगतान - अवकाश वेतन के बराबर स्वीकार्य नगद राशि सेवानिवृत्ति पर देय होगी तथा उसकी अदायगी एक ही बार निपटारे के रूप में की जाएगी।
(4) अवकाश वेतन - नगद राशि की अदायगी अर्जित अवकाश के लिए स्वीकार्य अवकाश वेतन तथा प्रचलित दरों पर इस अवकाश वेतन पर देय महंगाई भत्ते के बराबर राशि । (5) अन्य भत्ते - महंगाई भत्ते के अलावा अन्य कोई भत्ता देय नहीं। इस प्रकार देय राशि में से पेंसन एवं पेंसन के समतुल्य उपदान की राशि नहीं काटी जाएगी।
(6) स्वीकृति हेतु सक्षम अधिकारी- अर्जित अवकाश स्वीकृत करने वाला सक्षम अधिकारी ही इसे स्वीकार करने हेतु सक्षम है। इसे स्वीकार करने के लिए कोई प्रार्थना पत्र देने की भी आवश्यकता नहीं है। इसे सक्षम अधिकारी को अपने आप ही स्वीकार करना चाहिए।
(वित्त विभाग क्रमांक 1/13/77/नि-1 / चार, दिनांक 16.09.80)
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